लक्ष्य की ओर || Motivational Poem in Hindi by Bhushan Vashisth || Motivational Poems

Motivational Poem in Hindi

By Bhushan Vashisth


"लक्ष्य की ओर"

"उठा मुसाफिर चलता जा,
अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता जा,
उठा अपनी मेहनत की लाठी,
और अपने पथ पर बढ़ता जा,
उठ मुसाफिर चलता जा।"

"आसमां की उड़ानें भरता जा,
अपने पंखों को मत रुकने दे,
अपने सपनों को मत मिटने दे,
हर मुश्किल को पार करता जा,
उठ मुसाफिर चलता जा।"

"समस्याएं विकट है,
पर मंजिल भी निकट है,
फिर किस बात की झिझक है,
हर समस्या को हल करता जा,
उठ मुसाफिर चलता जा।"

"मंजिल को पाना ही है तेरी जिद,
अपना भाग्य तू खुद लिख,
चलता रह रात हो या दिन,
हर परिस्थिति में संभलता जा,
उठ मुसाफिर चलता जा,
अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता जा।"
                        ~भूषण वशिष्ठ



If you like this poem then don't forget to comment & also share it with your friends and family members.

Thanks.


एक टिप्पणी भेजें

3 टिप्पणियाँ