"उठो चलो, निकल पड़ो"- Motivational-Poem-in-Hindi
By Bhushan Vashisth
Instagram ID - @vashisthpoetry
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"उठो चलो, निकल पड़ो"
आंखों में एक ख्वाब लिए,
दफन जहन में,
कुछ जज्बात किए,
कुछ रखा पास,
कुछ पीछे छोड़ दिया,
बस मन में एक आश लिए,
उठो चलो, निकल पड़ो।
राज-काज सब त्याग कर,
निकले थे वनवास को,
कांटो पर था चलना पड़ा,
स्वयं विष्णु के अवतार को,
नींद चैन का त्याग करो,
संघर्ष पथ पर बढ़े चलो,
उठो चलो, निकल पड़ो।
आज नहीं तो कल होगा,
इन विपदाओं का भी हल होगा,
प्रचंड अग्नि में जलकर ही,
जीवन पथ भी सरल होगा,
कर बंद मुट्ठी में किस्मत को,
मेहनत से इतिहास लिखो,
उठो चलो, निकल पड़ो।
धरा कांपती जिस गर्जन से,
चटकें चट्टाने जिस वर्षण से,
उन मेघों सी हुंकार भरो,
तानों प्रत्यंचा गांडीव पर,
सफल इस जीवन का सार करो,
प्रहार करो, संहार करो,
उठो चलो, निकल पड़ो
उठो चलो, निकल पड़ो।
~भूषण वशिष्ठ
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