"चाह कुछ करने की " || Motivational Poem in Hindi by Bhushan Vashisth ||

Motivational Poem in Hindi:-


By Bhushan Vashisth 

     "चाह कुछ करने की"

"मन उदास है आज,
कुछ भी नहीं करना चाहता,
मगर अंदर आग भी है,
कुछ कर दिखाने की।"

"मन बहुत विचलित है,
कभी लगता है सबकुछ कर दूं,
कभी लगता है कुछ नहीं होगा मुझसे,
मगन मन अभी हारा नहीं।"

"मेरे प्रयास जारी है,
मुसिबतों ने रोका है कई बार,
बाधाओं को मिटानें की ,
अब मेरी बारी है।"

"कुछ कर गुजरने की
क्षमता लिए फिर रहा हूं,
बार बार इस जग में ,
मैं रास्ते से भटक रहा हूं।"

"कभी लगता है ये करूं,
कभी लगता है ये रास्ता चुनूं,
चारों तरफ अंधकार है,
उस अंधेरे में एक रोशनी दिखाई देती है,
जिसकी मुझे तलाश है।"

"आज असफलता मिली तो क्या,
उस असफलता में भी सफलता की तलाश है,
और रही बात आसमां में उड़ने की,
तो एक पंक्षी भी उड़ना सीखता है
       गिर - गिरकर ही।"
        
            ~भूषण वशिष्ठ

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