"चाह कुछ करने की-2" || Motivational Poem by Bhushan Vashisth || Vashisth Poetry

"चाह कुछ करने की-2"
A Motivational Poem 
By Bhushan Vashisth
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"चाह कुछ करने की-2"

"मुरझाए इन फूलों में,
एक महक अभी जिंदा है,
निराशाओं के इस रण में,
आशा की एक किरण अभी जिंदा है।"

"बंजर पड़ी इस ज़मीं में,
पानी की एक बूंद अभी जिंदा है,
हारने के बाद सब कुछ,
जीतने की फिर से
एक उम्मीद अभी जिंदा है।"

"असफलताओं के इस समंदर में,
सफलता की एक लहर अभी जिंदा है,
अंधेरी इन रातों में,
सपनों की एक चमक अभी जिंदा है।"

"मुश्किलों भरी इस जिंदगी में,
मेहनत की वो आग अभी जिंदा है,
ज़ख्मी इन पंखों में,
आसमां की उड़ान भरने का
वो जुनून अभी जिंदा है।"

"जिंदा है ख्वाहिशें, जिंदा है ख्वाब कई ,
चाहे मंजिल मिले ना मिले,
बस आगे बढ़ते रहने की,
एक चाह अभी जिंदा है।"

~भूषण वशिष्ठ



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