"चाह कुछ करने की-2"
A Motivational Poem
By Bhushan Vashisth
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"चाह कुछ करने की-2"
एक महक अभी जिंदा है,
निराशाओं के इस रण में,
आशा की एक किरण अभी जिंदा है।"
"बंजर पड़ी इस ज़मीं में,
पानी की एक बूंद अभी जिंदा है,
हारने के बाद सब कुछ,
जीतने की फिर से
एक उम्मीद अभी जिंदा है।"
"असफलताओं के इस समंदर में,
सफलता की एक लहर अभी जिंदा है,
अंधेरी इन रातों में,
सपनों की एक चमक अभी जिंदा है।"
"मुश्किलों भरी इस जिंदगी में,
मेहनत की वो आग अभी जिंदा है,
ज़ख्मी इन पंखों में,
आसमां की उड़ान भरने का
वो जुनून अभी जिंदा है।"
"जिंदा है ख्वाहिशें, जिंदा है ख्वाब कई ,
चाहे मंजिल मिले ना मिले,
बस आगे बढ़ते रहने की,
एक चाह अभी जिंदा है।"
~भूषण वशिष्ठ
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Thanks 😊
⧪Motivational Poems
6 टिप्पणियाँ
nice poem
जवाब देंहटाएंGajab bhai
जवाब देंहटाएंBahut achhe👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंBohot khub bhai
जवाब देंहटाएंBhushan khoob badho
जवाब देंहटाएंKhoob padho
Khush raho
Poem likhte raho
Achi hai na meri poem
Great Poem ����
जवाब देंहटाएंKeep it up��