"हर सांस हिंदुस्तान" || A Poem by Bhushan Vashisth|| Vashisth Poetry

"हर सांस हिंदुस्तान"
By Bhushan Vashisth

JAI HIND

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🔥हर सांस हिंदुस्तान🔥

"हर एक इंसान यहां,
देश के लिए मर - मिटनें की,
वो आग जलाऐ फिरता है,
देशभक्ति की आग में यहां,
हर इंसान तपता है।"

"हर एक सांस में यहां,
हिंदुस्तान ही बसता है।"

"क्रांति की ज्वाला यहां,
हर बच्चा - बच्चा रखता है,
इस देश के लिए यहां,
हर बच्चा अभिमन्यु बनकर लड़ता है।"

" हर मुस्कान में यहां,
हिंदुस्तान भी हंसता है।"

" हर एक शीश यहां ,
भारत मां के चरणों में ही झुकता है।"
हर एक जुबां से यहां,
हिंदुस्तान जिंदाबाद ही निकलता है।"

"मिट्टी के हर कण-कण में यहां,
हिंदुस्तान ही महकता है।"

 "हर एक धड़कन यहां,
 मेरे देश के लिए है,
 और हर दिल में यहां,
 हिंदुस्तान ही धड़कता है।"

"बस हर दिल हर सांस में यहां,
हिंदुस्तान ही बसता है।"❤️❤️

~भूषण वशिष्ठ 🔥🔥


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